जितना आपने इधर-उधर फालतू के खर्चे करने हैं। उसकी जगह अच्छा है कि आप अपने लिए ऊर्जा, शक्ति, पुण्य तथा देवों की विशेष कृपा प्राप्त करें।
कार्तिक के समान कोई माह नहीं है, सतयुग के समान कोई युग नहीं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगाजी के समान अन्य कोई तीर्थ नहीं है।
इन में चौमासा या चातुर्मास में आने वाले ये त्यौहार अधिक पूजा पाठ एवम मान्यताओं से भरे पुरे होते हैं. सभी त्यौहार की अपनी अलग विशेष बात एवम धार्मिक मान्यता होती हैं जिसके अनुसार हर धर्म जाति का व्यक्ति इसे मनाता हैं. इन्ही त्यौहारों में विशेष त्यौहार हैं दिवाली.
दीपावली शब्द में ही इसका अर्थ हैं दीपो की आवली अर्थात जगमग दीपो की माला. प्रकाश का त्यौहार जो हमें अन्धकार से दूर प्रकाश की तरफ जाने का संकेत देता हैं.इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती हैं. यह पर्व व्यापारियों के लिए नए वर्ष का दिन होता हैं. इस दिन सभी व्यापारी वर्ग अपने लेखा जोखा को बदलते हैं.
इस त्यौहार में जितनी रौनक होती हैं उतना ही व्यापार बढ़ता हैं. त्यौहारों का मुख्य उद्देश खुशियाँ लाना तो हैं ही लेकिन व्यापार की दृष्टि से भी त्यौहार अहम् होते हैं. इन दिनों बाजारी में जोश आता हैं जिससे हर एक छोटे बड़े व्यापारी को व्यापार का मौका मिलता हैं. छोटा व्यापारी तो केवल इन्ही दिनों की आजीविका पर पूरा वर्ष निर्भर करता हैं.
इन दिनों माता लक्ष्मी जी धरती पर भ्रमण करती है।हर घर पर खुशहाली रहती है और एक नई ऊर्जा का निर्माण होता है। शरद पूर्णिमा से धरती पर मां लक्ष्मी का आगमन होना शुरू हो जाता है। इन दिनों पूजा अनुष्ठान का महत्व बढ़ जाता है। इन दिनों पूजा अनुष्ठान कराने से मानसिक व शारीरिक रोगों की शांति होती है
पूजा, कुबेर यंत्र, घर के लिए वास्तु यंत्र, बच्चों के लिए माता सरस्वती यंत्र का निर्माण करवाएं।
घर में पूजा अनुष्ठान करवाएं, अगर घर में वास्तु दोष है तो विषेश प्रकार के यंत्रों का निर्माण होता है। जो घर के अलग-अलग दिशा और क्षेत्रों में स्थापित होते हैं।
उससे बहुत जबरदस्त ऊर्जा बनी रहती है।उनका भी निर्माण करवा कर उनकी स्थापना करें।
आप खुद महसूस करेंगे कि पिछले वर्षों के मुकाबले यह वर्ष आपके लिए विशेष तौर से उर्जा लेकर आया, उत्साह लेकर आया, आकर्षण और अच्छे अवसर लेकर आया।
अपनी ऋतुओं, अपने त्योहारों को ठीक से समझें और जीवन को सुंदर बनाएं।